Pradosh Vrat: आज 27 मार्च के दिन चैत्र माह का पहला प्रदोष व्रत रखा जा रहा है. पंचांग के अनुसार, प्रदोष व्रत हर महीने की शुक्ल और कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी तिथि पर रखा जाता है. गुरुवार के दिन पड़ने के चलते इसे गुरु प्रदोष व्रत कहते हैं. मान्यतानुसार प्रदोष व्रत पर भगवान शिव के लिए व्रत रखकर भक्त पूजा करते हैं. इस दिन पूरे शिव परिवार का भी पूजन होता है. आज गुरु प्रदोष व्रत (Guru Pradosh Vrat) पर कुंभ राशि में शनि-चंद्र की युति हो रही है और इसीलिए विष योग का निर्माण हुआ है. विष योग (Vish Yog) के दुष्प्रभाव को कम करने के लिए शिव पूजा की जा सकती है. ऐसे में आज प्रदोष व्रत का पड़ना एक विशेष संयोग है. यहां जानिए विष योग रहते हुए किस तरह महादेव की पूजा की जा सकती है.
विष योग में प्रदोष व्रत की पूजा विधि | Pradosh Vrat Puja Vidhi In Vish Yog
विष योग तब बनता है जब शनि और चंद्र एक ही राशि के अंश में आ जाते हैं. इस योग के दुष्प्रभाव कई तरह के होते हैं. व्यक्ति इस योग में जो भी निर्णय लेता है उसके लिए वह गलत साबित हो सकता है. साथ ही, शीरीरिक, आर्थिक और पारिवारिक संकट व्यक्ति को घेर सकते हैं. विष योग में प्रदोष व्रत की पूजा करने के लिए इस दिन व्रत किया जाता है. पूरा दिन निराहार रहकर शाम के समय प्रदोष काल में भगवान शिव की पूजा की जाती है. शिवलिंग (Shivling) पर जलाभिषेक किया जाता है, महादेव के समक्ष बेलपत्र, धतूरा और फल-फूल अर्पित किए जाते हैं.
पूजा करते हुए पंचमुखी रुद्राक्ष को लाल धागे में डालकर गले में बांधना विष योग से जुड़े दुष्प्रभावों को कम कर सकता है. रात के समय चंद्र देव को कच्चे दूध का अर्घ्य दिया जा सकता है.
प्रदोष काल का शुभ मुहूर्त
प्रदोष व्रत में भगवान शिव की पूजा प्रदोष काल में संपन्न की जाती है. ऐसे में प्रदोष काल (Pradosh Kaal) आज शाम 6 बजकर 36 मिनट पर शुरू होकर 8 बजकर 56 मिनट तक रहेगा. इस प्रदोष काल में महादेव की पूजा करना अत्यंत शुभ माना जाता है.
करें इन 3 मंत्रों का जाप
– ॐ नमः शिवाय।
– ॐ पार्वतीपतये नमः।
– ॐ ह्रीं ह्रौं नमः शिवाय।